शब्द बहुत शक्तिशाली होते हैं। आपके मुख से निकले हुए शब्द भी किसी के लिए लगाव बन जाते हैं, तो किसी के लिए घाव। इसलिए बोलने से पहले अपने शब्दों पर खास ध्यान करना ज़रूरी है। बोलते समय दूसरों के साथ पॉज़िटिविटी और खुशी फैलाने के लिए अपने शब्दों का उपयोग करें। दूसरों को अच्छा और रुचि और खुश महसूस कराने वाले बातें समाज में बदलाव लाने का सबसे आसान तरीका है।
एक शब्द सुख खानि है, एक शब्द दुःखराखि है
एक शब्द बन्धन कटे, एक शब्द गल फांसि।।
कबीर दास अपने इस दोहे में कहते हैं कि हमारे शब्द सुख की खान हैं और विषमता के शब्द दुखों की ढेरी। अच्छे शब्दों दूसरों को सुख पहुंचाते हैं और गलत शब्द लोगों के मन में घाव दे जाते हैं। इसलिए बातचीत करते समय शब्दों पर खास ध्यान दे और यह गलतियां करने से बचें।
गपशप
गपशप करना अच्छी बात है, जब तक उसमें किसी की बुराई नहीं होती। जो व्यक्ति किसी की पीठ पीछे उसकी बुराई करें, वह निश्चित रूप से हमारे बारे में भी गपशप करेगा जब हम आसपास नहीं होंगे। दूसरों की बुराईयां करने से खुद में ही नेगेटिव ऊर्जा बढ़ती है, इसलिए इस आदत से जितना हो सके, उतना दूर रहे। हंसी-ठिठोली करना अच्छा है, क्योंकि इससे आप भी खुश होते हो और दूसरे भी। दूसरों की बुराई करने से मतभेद के साथ मनभेद भी बढ़ते हैं। तो अब जब भी आप बात करे तो खास ध्यान रखिए कि वह पॉज़िटिव हो। बोलने से पहले हमेशा सोचें।
आंकना या राय बनाना
हम से कई लोग है, जो जाने-अनजाने में दूसरों के प्रति अपनी राय बना लेते हैं। यह ज़रूरी नहीं है कि पहली मुलाकात में ही हम किसी व्यक्ति के बारे में सब कुछ जान लें। हमारे आसपास कई तरह के लोग होते हैं। कुछ लोग काफी खुले स्वभाव के होते हैं और शर्मीले होते हैं। सबकी अपनी-अपनी क्षमता है, लेकिन दूसरों के बारे में कुछ कहने से बेहतर है कि उसे पहले समझे। किसी को खुद से या दूसरों से कम आकंने की आदत और राय बनाने से बचें। बिना व्यक्ति को जाने और समझे अपनी राय बनाना अच्छी बात नहीं होती है।
शिकायत करना
हर बात में किसी न किसी चीज़ को लेकर शिकायत करना गैरजिम्मेदारी का लक्षण है। आप जो चाहते हैं वह सब कुछ तुरंत नहीं हो सकता है , इसका मतलब यह नहीं है कि आप इसके बारे में शिकायत करेंगे। शिकायत करने से बेहतर है कि उसे समस्या का समाधान सोचिए। शिकायत करने से केवल नेगेटिव विचार ही आते हैं, लेकिन कोई सुझाव नज़र नहीं आता है।
झूठ बोलना
बातों-बातों में कई बार लोग डर या एक सच को छिपाने के लिए झूठ का सहारा ले लेते हैं। फिर उसी को छिपाने के लिए एक के बाद एक कई झूठ बोलने लगते हैं। अपनी बातों को सच करने के लिए झूठ बोलना ठीक नहीं है। झूठ बोलने से बेहतर से सच्चाई को स्वीकार करें। कहते हैं कि झूठ बोलने के पीछे इंसान का इरादा नेक हो, तो वह सच से कहीं ज्यादा अच्छा होता है। लेकिन जब किसी को दुख पहुंचाने के मकसद से सच बोला जाए, तो वह एक सच सौ झूठ से भी ज़्यादा बुरा है। सबसे बड़ी बात है कि झूठ बोलने वाले इंसान पर लोगों का भरोसा भी उठ जाता है।
नेगेटिव बात
जो व्यक्ति जीवन के हर पहलू पर नेगेटिव नज़रिया रखते हैं, वही लोग आसपास भी नेगेटिविटी बढ़ा देते हैं। उन्हें हर बात में सिर्फ मुश्किले ही नज़र आती है। वह लोग दूसरों को भी वैसे ही दुखी और निंदक बना देते हैं जैसे वह खुद है। नेगेटिव बातों को केवल पॉज़िटिव बातों से ही दूर किया जा सकता है। इसलिये मन में या अपने संवाद में नेगेटिविटी को आने से रोकें।
आप जो कहते हैं उसमें ईमानदार रहें और अपनी प्रामाणिकता दिखाएं। अपने शब्दों में ईमानदारी रखे और सुनिश्चित करें कि आप जो कह रहे हैं वह प्यार और देखभाल को दर्शाता है। अगर आप चाहते हैं कि आपके बोलते समय लोग आपकी बात ध्यान से सुनें, तो यह ज़रूरी है कि आप अपनी बातचीत में ऊपर दी गई बातों का ध्यान रखेंगे।
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