आमतौर पर उम्र बढ़ने के बाद आंखों की रोशनी कमज़ोर होने लगती है, लेकिन कई बार कम उम्र में भी आंखें कम़ज़ोर हो जाती है। वैसे तो हर चीज़ हमारे वश में नहीं है, लेकिन आप अपनी रोज़ाना की कुछ आदतों को बदलकर आंखों को होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं।
सनग्लासेस नहीं पहनना
कड़कती धूप में बाहर निकलते समय क्या आप भी अक्सर धूप का चश्मा लगाना भूल जाते हैं। कभी-कभार तो चलता है, लेकिन आप यदि रोज़ाना धूप में बिना सनग्लासेस के निकलते हैं, तो सूर्य की हानिकारक अल्ट्रा वॉयलेट किरणें आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है और मोतियाबिंद का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए बेहतर है कि धूप में निकलते समय अल्ट्रा वॉयलेट सनग्लासेस पहनें। यदि आप कॉनटेक्ट लेंस पहनते हैं तो वह भी यूवी प्रोटेक्टिव होना चाहिए।
लंबे समय तका कॉनटेक्ट लेंस पहनना
कुछ लोग दिन-रात, यहां तक कि सोते समय भी लेंस लगाए रहते हैं। लगातार 2 दिन तक कॉनटेक्ट लेंस पहने रहने से आंखों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं बहुत पुराना लेंस पहनना या किसी और के साथ लेंस साझा करना भी आंखों के लिए अच्छा नहीं है।
आंख मलना
बच्चे ही नहीं कई बड़ों को भी बार-बार आंख मलने/मसलने की आदत होती है। इससे बाहर की गंदगी और बैक्टीरिया आंख के अंदर जाकर उसे गंभीर नुकसान पहुंचा सकते है। यदि आपको आंख के अंदर कुछ चुभ रहा है तो हाथ से मलने की बजाय पानी के छींटे मारें।
खराब मेकअप इस्तेमाल करना
आई मेकअप भी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है यदि वह एक्सपायर यानी बहुत पुराना हो, तो इससे आंखों में खुजली और संक्रमण हो सकता है। ब्यूटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 9 महीने से ज़्यादा पुराना कोई भी आई मेकअप प्रोडक्ट इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साथ ही किसी अच्छे ब्रांड के प्रोडक्ट्स ही इस्तेमाल करें।
सारा दिन मोबाइल देखना
स्मार्टफोन या लैपटॉप की स्क्रीन को लगातार कई घंटों तक देखने से आंखे शुष्क हो जाती है यानी आंखों में बनने वाला पानी सूख जाता है और इससे कई बार रोशनी भी कम हो जाती है। इसलिए स्क्रीन टाइम कम करने के साथ ही बीच-बीच में आंखों को ब्रेक देना ज़रूरी है।
नियमित जांच न कराना
आमतौर पर आंखों में किसी तरह की गंभीर समस्या होने पर ही लोग डॉक्टर के पास जाते है, जिससे समस्या बढ़ जाती है। बहुत संभव है कि शुरुआती अवस्था में आंखों की किसी बीमारी के लक्षण न दिखे, ऐसे में ज़रूरी है कि आप किसी तरह की परेशानी महसूस न होने पर भी नियमित रूप से आंखों की जांच करवाएं।
बिना डॉक्टर की सलाह के आईड्रॉप डालना
कई लोग आंखों में खुजली होने या पानी आने पर इंटरनेट पर सर्च करके अपनी मर्जी से आई ड्रॉप डालने लगते हैं। यह आदत आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है, क्योंकि हो सकता है कि आप ज़रूरत से ज़्यादा ड्रॉप डाल रहे हों। इसलिए हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही कोई आई ड्रॉप लें।
आंखें शरीर का बहुत ही नाज़ुक अंग है, इसलिए इसकी सही देखभाल करने के साथ ही इसे लेकर सतर्क रहने की ज़रूरत है।
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