कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति अपनी भावनाओं को शब्दों में ज़ाहिर नहीं कर पाता। अंदर ही अंदर दबा कर रखता है, जो आगे चलकर मानसिक परेशानी का सबब बन सकता है। ऐसी मानसिक परेशानियों को दूर करने एक मात्र तरीका है कला यानी की आर्ट थेरेपी। इसमें व्यक्ति को कला में एक्सर्ट होने की जरूरत नहीं है, बस अपनी भावनाओं को कला के माध्यम से बयां करना हैं, उसे आर्ट थेरेपी कहा जाता है।
आर्ट थेरेपी क्या है?
आर्ट थेरेपी को एक नार्मल आर्ट क्लास की तरह न समझें। जहां आर्ट क्लास में पेंटिंग और रंगों की बारीकियां समझाई जाती हैं। आर्ट थेरेपी में व्यक्ति के मन की बात, भावनाओं को व्यक्त करने का मौका दिया जाता है और उनके बनाए गए आर्ट से उनकी मानसिक स्थिति को समझा और सुधारने का प्रयास किया जाता है।
अमेरिकन आर्ट थेरेपी ऐसेसिएशन के अनुसार दायरे से बाहर जाकर कुछ क्रिएटिव करना मेंटल हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ऐसे लोग जिन्हें इमोशनल टच की कमी महसूस होती है और जिन्हें सेंस ऑफ सेल्फ या खुद का अहसास नहीं होता, उन्हें इस तरह की थेरेपी का सहारा दिया जाता है।
आर्ट थेरेपी के विभिन्न प्रकार
पेंटिंग \ चित्र
पेंटिंग व्यक्ति को स्वतंत्रता की भावना दे सकती है, जो चाहे उसे चित्रित करने में सक्षम हैं। अपनी भावनाओं और अपने रचनात्मक पक्ष को व्यक्त करते हुए, जो कुछ भी आपके मन में आता है, उसका चित्र बना सकते है।
कोलाजिंग
कोलाजिंग वह जगह है जहां आप उन चित्रों को काटते और चिपकाते हैं, जो आपको प्रेरित करते हैं या अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं और उन सभी को एक साथ रखते हैं।
डिजिटल आर्ट
जैसे-जैसे समय बदल रहा है, नई तकनीकों की आवश्यकता भी बढ़ती जाती है। डिजिटल आर्ट भी ऐसा ही है। जहां आप अपनी कला को बनाने के लिए कंप्यूटर का उपयोग करते हैं। इसमें व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक रूप से एक कोलाज डिजाइन कर सकता है या आपके चित्र बनाने के लिए एक ड्राइंग सॉफ्टवेयर का उपयोग कर सकता है।
फोटोग्राफी
यह उन लोगों के लिए जो शायद दूसरों की तरह ड्राइंग और पेंटिंग के लिए उत्सुक नहीं होते हैं। इस थेरेपी में आप कई अलग-अलग चीज़ों की तस्वीरें ले सकते हैं, जैसे कि जिन्हें आप प्यार करते हैं या सिर्फ ऐसी चीजें हैं जो आपको सुंदर और मनभावन लगती है।
टेक्स्टाइल्स
कपड़ों का उपयोग कोमलता प्रदान करता है, जो आपके लिए आराम प्रदान करने में मदद कर सकता है। यह खुद को व्यक्त करने का एक शानदार तरीका हो सकता है।
मिट्टी के साथ मूर्तिकला
मिट्टी के ज़रिये प्रकृति से जुड़ना। सौंधी-सौंधी सुंगध और अपनी भावनाओं को किसी भी मूर्ति का रुप देना।
कार्ड बनाना
हर तरह कि कार्ट डिज़ाइन करना और उसमें खुद को व्यस्त रखकर मन शांत करना।
ऊपर दिए गए और अन्य सभी प्रकार की आर्ट थेरेपी तकनीकों के ज़रिये दबी हुई भावनाओं को बाहर निकालने में मदद मिलती है। जो शब्दों में किसी से बात शेयर नहीं कर पाते, ऐसे लोगों को आर्ट थेरेपी मदद करती है। साथ ही व्यक्ति को आरामदायक और प्रेरक भी लगता है।
अगर आप भी अपनी दबीं भावनाओं को किसी के साथ शेयर करना चाहते है, तो ऊपर दिए गए किसी भी आर्ट को अपना सकते हैं।
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