तिब्बती गुरु दलाई लामा कहते हैं “अच्छी नींद लेना सबसे अच्छी मेडिटेशन है”। दलाई लामा की यह बात बिल्कुल सही है और इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं बिल गेट्स, जुकरबर्ग और अनुज कुमार जैसे लोग जो अपनी सफलता का श्रेय अच्छी नींद या दूसरे शब्दों में कहें तो सोने से पहले की दिनचर्या को देते हैं। खैर ये बात हुई सफल लोगों की लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि विश्व के लगभग 50% लोग अनिद्रा के शिकार हैं। जिसके पीछे ये कारण हैं-
पढ़ने की आदत न होना
जिस तरह शारीरिक कसरत आपके शरीर को स्वस्थ रखती है, वैसे ही मानसिक कसरत आपके मन और अंतरात्मा को। सोने से पहले पढ़ना भी मानसिक कसरत है जो आपकी संज्ञानात्मकता को बढ़ाता है। साथ ही यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि सोने से पहले पढ़ना डिप्रेशन के स्तर को कम करती है।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का ज्यादा प्रयोग
आज स्वास्थ्य से जुड़े लगभग सभी संस्थान अनिद्रा, अल्माइजर, चिड़चिड़ापन आदि समस्याओं का मुख्य कारण मोबाइल, टी.वी जैसे उपकरणों को मानते हैं। ध्यान रखें सोने से पहले मोबाइल से बचना है और अगर यह मुमकिन न हो तो ब्लू लाइट फ़िल्टर का इस्तेमाल करते हुए थोड़े समय के लिए मोबाइल का उपयोग करें।
कैफीन का प्रयोग करें
बहुत सारे लोग सोने से पहले चाय या कॉफी पीते हैं। लेकिन अगर आप अनिद्रा से जूझ रहे हैं तो सोने से 6 घंटे पहले किसी तरह की चॉकलेट,चाय, शराब आदि का उपयोग न करें।
मीठा, मांसाहार जैसे भोजन का प्रयोग
जैसे हमारे खाने का हमारी सोच पर असर होता है वैसे ही नींद पर भी होता है। मीठा या मांस में अधिक कैलोरी होती है, जिसकी वजह से मोटापे की समस्या बढ़ती है। मांस के प्रयोग से कब्ज जैसी समस्याएं पैदा होती है।
असहज व नेगेटिव खबरों को सुनना
सोने से पहले किसी तरह की बुरी या नेगेटिव खबरे न देखें और न ही पढ़ें। मनोविज्ञान भी मानता है सोने से पहले जो भी इनपुट आप लेते हैं अगले दिन उसी तरह का आउटपुट प्राप्त करते हैं। सोने से पहली ऐसी चीजें पढ़े, जो पॉजिटिव एनर्जी दें। साथ ही सोने से पहले कुछ पल परिवार के साथ भी बिता सकते हैं।
नींद की दवा का इस्तेमाल
लोग अक्सर थोड़े प्रयास के साथ जल्दी समाधान पाने की कोशिश करते हैं। इसके लिए एलोपैथिक दवा का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अधिक दवा का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए बुरा है तथा एक समय बाद शरीर पर इसका असर भी बंद हो जाता है। इसलिए डॉक्टर विशेष परिस्थितियों में ही दवा खाने की सलाह देते हैं।
उपाय
सो स्लीप इंस्टिट्यूट साओ पाउलो के डॉक्टर बताते हैं कि कोरोना महामारी के बाद से अनिद्रा की समस्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है और वे इसके लिए कुछ उपाय भी सुझाते हैं। जैसे-
- अच्छी आदतों को विकसित करें। इसके लिए दैनिक और साप्ताहिक टाइम टेबल बनाएं। किसी भी आदत को विकसित होने में करीब 30 दिन का समय लगता है। पावर ऑफ हैबिट नाम की किताब पढ़ कर आदतों में बदलाव को समझा जा सकता है।
- एक्यूप्रेशर, एक्यूपंक्चर, आर्कुलो थेरपी,ताई ची, हिज़ामा जैसी परम्परागत स्वास्थ्य प्रणालियों को अब लगभग हर देश मान्यता देने लगे हैं। भारत मे योग इसका उदाहरण है अतः परम्परागत पद्धतियों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
यह तय है कि कोई भी हमेशा से अनिद्रा या कुछ बुरी आदतों का शिकार नहीं होता क्योंकि आदतें धीरे-धीरे विकसित होती हैं। आदतों के बनने की यह विधि अच्छी आदतों में भी काम करती है। बस आपको समस्याओं को पहचानकर ऊपर लिख उपायों को अपनाना है।
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