क्या आपने बचपन में किसी बात से परेशान हो कर अपने परिजनों से कभी कहा कि ‘मुझे और परेशान मत करो, मैं पहले से ही टेंशन में हूं’। अगर हां, तो इस पर आपके पैरेंट्स का जवाब क्या होता था। ज़्यादातर बच्चों के माता-पिता कहते थे कि तुम्हें किस बात की टेंशन, तुम तो अभी बच्चे हो। कुछ याद आया, है न….. लेकिन आज का समय वैसा नहीं है।
छोटे-छोटे बच्चों के ऊपर बहुत प्रेशर होता है। इसे डील करना एक नन्हीं सी जान के लिये काफी मुश्किल होता है। आजकल बच्चों पर पढ़ाई के साथ- साथ और कई तरह के प्रेशर होते हैं। आज की जेनेरेशन स्ट्रेस और एंग्जाइटी से पहले के मुकाबले कहीं ज़्यादा एक्सपोज़्ड है।
बच्चे और प्रेशर
आजकल बच्चों पर एग्ज़ाम्स में अच्छा प्रदर्शन करना, सोशल मीडिया पर छाये रहना (जी हां, उनकी नज़र में यह बेहद ज़रूरी है) और दोस्तों के बीच खुद को परफेक्ट साबित करने का प्रेशर रहता है। हालांकि कई चीज़ों का प्रेशर तो आसपास होने वाली घटनाओं से बनता है। इससे बच्चों में स्ट्रैस लेवल बढ़ना ज़ाहिर सी बात है। जहां 21वीं सदी के बच्चों में स्ट्रैस और एन्ज़ाइटी बढ़ रही है, तो वहीं उनकी स्मार्टनेस भी बढ़ रही है। कई बच्चे कवितायें याद करना छोड़ माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस करने लगे हैं।
क्या है माइंडफुलनेस ?
आजकल बढ़ती जागरूकता और घर-स्कूल में मेडिटेशन सेशन्स की मदद से छोटी उम्र से ही बच्चे अपने ब्रेन को समझने की कोशिश करने लगे हैं। कैसे अपने विचारों और इमोशन्स को काबू में रखना है, इसका भी अभ्यास करने लगे हैं। अगर माइंडफुलनेस को प्रभाषित करें, तो यह एक मानसिक स्थिति है, जिसे वर्तमान स्थिति में अपनी जागरूकता पर फोकस करके हासिल किया जाता है। साथ ही थेराप्यूटिक टेक्नीक की मदद से अपनी भावनाओं, विचारों, शारीरिक संवेदनाओं को पहचानना और स्वीकार करना होता है, जिसे मेडिटेशन से हासिल किया जा सकता है। जहां कुछ बच्चे खुद को ज़मीन से जुड़ा हुआ ध्यान में रख कर मेडिटेट करते हैं, तो वहीं कुछ बच्चे अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
सामने आई एक खबर
हाल ही में किये गये ‘एनएचएस सर्वे ऑफ यंग पीपल्स मेंटल हेल्थ, 2017’ से पता चलता है कि, इंग्लैंड में 5 से 19 साल के आठ में से एक बच्चे में मेंटल हेल्थ कंडीशन की समस्या आ रही है। ऐसे में वहां मेडिटेशन, माइंडफुलनेस और मेंटल हेल्थ की अन्य गतिविधियों की मदद से बच्चों के मेंटल हेल्थ का ध्यान रखा जा रहा है।
मेडिटेशन रखें सोच सही
– अगर आपके घर भी छोटा बच्चा है, तो उसे मेडिटेशन करने की आदत डलवायें।
– स्कूलों में माइंडफुल और मेडिटेशन का पाठ्यक्रम होना चाहिये।
– मेडिटेशन से बच्चों में एकाग्रता आती है।
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