तीसरा नेत्र चक्र हमें दृष्टि, अंतर्दृष्टि और आध्यात्मिक विकास के बारे में सिखाता है। यह चक्र आपको जीवन में आगे बढ़ने में मदद करता है। जब आपका छठा चक्र संतुलित होता है, तो आप अपने अंतर्ज्ञान पर भरोसा करते हैं और चीज़ों को वैसे ही समझते हैं जैसे वे हैं यानी आत्म-जागरूकता को अपनाते हैं।
छठा चक्र – आज्ञा या अजना
इस चक्र का संबंध दोनों भौहों के बीच में पीनियल ग्रन्थि से है। इसी कारण इसे “तीसरी आंख” भी कहा जाता है। आज्ञा चक्र स्पष्टता और बुद्धि का केंद्र है। यह चक्र हमारी इच्छाशक्ति व प्रवृत्ति को नियंत्रित करता है। हम जो कुछ भी जानते या सीखते हैं उस संपूर्ण ज्ञान का केंद्र यह आज्ञा चक्र ही है।
चक्र को जागृत करने वाले योग
सात चक्रों से निकलने वाली ऊर्जा शरीर को जीवन शक्ति प्रदान करती है। आयुर्वेद योग, प्राणायाम और साधना की मदद से इन चक्रों को जगाने या सक्रिय करने के तरीकों की गणना करता है। चक्रों में से आज्ञा चक्र को तीसरा नेत्र चक्र माना जाता है। कुछ योग आसनों में ऐसे तरीके शामिल हैं, जो आज्ञा चक्र को संतुलित कर सकते हैं। तीसरी आंख (अजना) चक्र को संतुलित करने के लिए कुछ योग मुद्राएं हैं, जो अंतर्ज्ञान, कल्पना और परिस्थितियों से निपटने की क्षमता प्रदान करती है।
पद्मासन
यह आसन आपकी सांस को केंद्रित करने और आज्ञा चक्र को भी उत्तेजित करता है। इस आसन का प्रयोग प्राचीन काल से कई योगियों ने किया है। प्राचीन समय से ही योगियों द्वारा किए जाने के कारण इस ध्यान मुद्रा को मान्यता मिली। पद्मासन के अभ्यास से आज्ञा चक्र को संतुलित करने में और ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है, साथ ही मानसिक शांति के लिए भी फायदेमंद है।
त्राटक
यह अभ्यास आपकी दोनों आंखों को उत्तेजित करता है। दीपक की लौ को लगातार टकटकी लगाकर देखने से ध्यान की एक गहरी अवस्था को प्रोत्साहित करके यह तीसरे नेत्र चक्र की ऊर्जा से जोड़ता है। इस अभ्यास से आंखो की रोशनी बढ़ाने में मे मदद मिलती है। साथ ही एकाग्रता में सुधार और अपने अंतर्ज्ञान को विकसित करने के लिए त्राटक अच्छा अभ्यास है।
शीर्षासन
आज्ञा चक्र को सक्रिय करने का सबसे अच्छा तरीका शीर्षासन है। इस आसन का प्रतिदिन अभ्यास करने से दिमाग की सभी नसों को सक्रिय करता है और सिर के सभी संवेदी अंगों में सुधार होता है। यह आसन सभी शारीरिक प्रणालियों को उत्तेजित और नियंत्रित करता है।
अर्ध पिंच मयुरासनपिंच
यह आसन मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने के लिए माना जाता है, जो तनाव को कम करता है और स्पष्टता और शांति की भावनाओं को बढ़ावा देता है। यह पूरे शरीर को भी मज़बूत करता है, खासकर यह आज्ञा चक्र को खोलने में मदद करता है।
बालासन
इस योगासन में करते समय माथे को जमीन से या अपने हाथों की खड़ी सतह से जोड़ लेते हैं। यह सिर और हाथों में हल्का दबाव बनाता है और तीसरे नेत्र चक्र को उत्तेजित करता है। जिससे दिमाग शांत और एकाग्र होता है।
ऊपर बताए गए योगासनों का 15-20 मिनट रोज़ाना अभ्यास करने से न सिर्फ तीसरे नेत्र (अजना) चक्र को संतुलित करने में, बल्कि मानसिक शांति देने में काफी मदद मिलेगी।
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