आमतौर पर जब योग का ज़िक्र होता है, तो अधिकांश लोग इसे एक कसरत या अलग-अलग आसन से जोड़कर देखते हैं, मगर सच तो यह है कि योग सिर्फ आसनों का समूह ही नहीं है, बल्कि बहुत व्यापक है। योग तन, मन और आत्मा को एकाग्र और विचारों को शुद्ध करने की प्रक्रिया है। योग के जनक महर्षि पतंजलि ने इसे मन की इच्छाओं को संतुलित करने वाला बताया है। उनके अनुसार ही योग के संपूर्ण लाभ के लिए उसके नियमों का पालन करना ज़रूरी है।
योग गुरू महर्षि पतंजलि के अनुसार, योग के 8 नियम है जिसे अष्टांग योग कहते हैं।
यम
इसका अर्थ है कि आपको अपने जीवन में अहिंसा को अपनाना होगा। किसी को कष्ट पहुंचाने वाला काम या ऐसे शब्दों के इस्तेमाल से बचें, झूठ और गलत चीज़ों का साथ न दें। चोरी न करना, ज़रूरत से ज़्यादा चीज़ों को जमा न करना और ब्रह्मचर्य का पालन करना भी इसमें शामिल है।
नियम
नियम के तहत कई चीज़ें आती हैं जिसमें व्यक्ति की बाहरी और आंतरिक शुद्धि भी शामिल है। इसके तहत आते हैं-
शौच- यानी शरीर और मन की शुद्धि। योग हमेशा सुबह के समय नित्यकर्म करने के बाद ही करना चाहिए।
संतोष – व्यक्ति को जो है उसी में संतुष्ट और प्रसन्न रहना चाहिए।
तप – योग का अर्थ खुद को अनुशासित रखना भी है।
स्वाध्याय – आत्मचिंतन करना यानी सही और गलत चीज़ों की परख खुद करने की क्षमता होनी चाहिए।
ईश्वर-प्रणिधान – योग कर रहे हैं तो आप में ईश्वर के प्रति पूरी श्रद्धा और समर्पण होना चाहिए।
आसन
योग के अहम नियमों में से एक है विभिन्न प्रकार के आसन, जिसके द्वारा शरीर को साधने की कोशिश यानी नियंत्रित करने क प्रयास किया जाता है। यह आसन शरीर को लचीला और संतुलित बनाते हैं। योग के आसनों की लिस्ट बहुत लंबी है और हर आसान को करने का एक खास तरीका होता है।
प्राणायाम
सांसों को धीरे-धीरे नियंत्रित करके मन को शांत रखने का तरीका है प्राणायाम। इससे एकाग्रता बढ़ती है, मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है। मन को संयमित करने का भी यह बेहतरीन तरीका है।
प्रत्याहार
अपनी इंद्रियों पर काबू पाना भी योग का ही हिस्सा है। दरअसल, हमारी इंद्रियां ही हैं जो मन को चंचल बनाती हैं और उसे लक्ष्य से भटका देती है। ऐसे में इंद्रियों को बाहरी चीज़ों से हटाकर आंतरिक चीज़ों पर केंद्रित करने को ही प्रत्याहार कहा जाता है।
धारणा
मन को शांत करके किसी एक विषय पर फोकस करना या एकाग्रचित करना इसमें शामिल है। यानी योग के समय ध्यान भटकना नहीं चाहिए।
ध्यान
चंचल मन को शांत करने का यह एक बेहतरीन तरीका है। किसी एक जगह या चीज़ पर पूरी तरह से ध्यान लगाएं और इस दौरान कोई विचार या यादें मन में नहीं आनी चाहिए। पूरी तरह से ध्यानमग्न होना ज़रूरी है।
समाधि
यह अवस्था है ईश्वर में पूरी तरह से लीन हो जाने की। इस दौरान व्यक्ति का सभी बाहरी चीज़ों से मोह भंग हो जाता है और पूरी तरह से तरह से ध्यान या चिंतन में समा जाता है। वह न कुछ देखता है, न सुनता है, न महसूस करता है और न ही कुछ छूता है। पूरे नियमों का पालन करते हुए योग करने से शरीर और मन स्वस्थ रहने के साथ ही असीम शांति का भी अनुभव होता है।
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