मेडिटेशन की शुरुआत का इतिहास

मेडिटेशन की शुरुआत का इतिहास

माना जाता है कि मेडिटेशन का इतिहास भारत से जुड़ा है।
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मेडिटेशन यानी ध्यान लगाना, अपने मन और दिमाग को विचारों के जाल से निकालकर एकाग्र करना ही ध्यान कहलाता है। अक्सर ध्यान शब्द सुनते ही लोगों के मन में साधु संतों की छवि उभर जाती है, क्योंकि हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि संत एकांत जगहों पर जाकर ध्यान लगाते थें, मगर ध्यान लगाने के मतलब सिर्फ एकांत में जाकर बैठना नहीं है, बल्कि मन को शांत और केंद्रित करना होता है। आजकल तनाव घटाने के लिए लोग मेडिटेशन का सहारा ले रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है मेडिटेशन की शुरुआत कब और कहां हुई थी।

मेडिटेशन शब्द का मतलब

यह ‘मेडरी’ शब्द से से बना है, जिसका मतलब होता है हीलिंग (ठीक करना)। यानी खुद को अंदर से ठीक करना, मन को शांत रखने की क्रिया ही मेडिटेशन है। जब आपको किसी भी परिस्थिति में गुस्से पर काबू रखना आ जाए तो समझ लीजिए कि आपका ध्यान लगाना सफल हो गया है। ध्यान लगाने बेकार के विचारों से मुक्ति मिलती है और आप अपने आप पर, अपने काम पर पूरा ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।

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भारत से जुड़ा तार

कुछ लोगों को लगता है कि मेडिटेशन का संबंध महात्मा बुद्ध के समय से है, लेकिन सच तो यह है कि हमारे देश में उससे भी पहले ध्यान की शुरुआत हो चुकी थी। 1500 ई.पू. वेदों में मेडिटेशन का ज़िक्र मिलता है। चूंकि उस जमाने में मौखिक रूप से शिक्षा दी जाती थी, तो ऐसा माना जाता है कि गुरु-शिष्य परंपरा के तहत छात्रों को ध्यान लगाना भी सिखाया जाता था। उस ज़माने में कोई चीज़ लिखी नहीं जाती थी, इसलिए मेडिटेशन की शुरुआत कब हुई इस बारे में सटीक रूप से कुछ कह पाना मुश्किल है, लेकिन इतना तो तय है कि यह सदियों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। जिस सबसे पुराने लिखित दस्तावेज से भारत में मेडिटेशन के बारे में जानकारी मिलती है, वह 5000 से 3000 ई.पू. दीवार पर बने चित्र हैं। इसमें ध्यान की मुद्रा में बैठे लोगों की आकृति है।

ध्यान से मिलती है मानसिक शांति
ध्यान से मिलती है मानसिक शांति|इमेज : फाइल इमेज

बौद्ध धर्म और मेडिटेशन

महात्मा बुद्ध ने भले ही ध्यान की शुरुआत न की हो, लेकिन इसके प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभाई है। बौद्ध धर्म की शास्त्रीय भाषा में मेडिटेशन को भावना कहा जाता है, जिसका मतलब है मानसिक विकास/शांति या ध्यान लगाना। मेडिटेशन का अभ्यास करने के कई तरीके है। बुद्ध के साथ ही भगवान महावीर ने भी ध्यान के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभाई है। भारत के साथ ही कई पश्चिमी देशों में भी मेडिटेशन बहुत लोकप्रिय हो चुका है। इसे योग का ही एक रूप माना जाता है। भारत के अलावा चीन और जापान में भी काफी साल पहले से ही मेडिटेशन की शुरुआत हो चुकी थी। 20वीं शताब्दी आते-आते कई पश्चिमी देशों में भी मेडिटेशन की शुरुआत हो गई।

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मानसिक स्वास्थ के लिए करें मेडिटेशन

भले ही मेडिटेशन की शुरुआत भारत में हुई हो, मगर अब पूरी दुनिया में इसका बहुत प्रचार-प्रसार हो चुका है। तनाव और अवसाद की समस्या से बचने के लिए अब लोग मेडिटेशन का सहारा ले रहे हैं। इसके रोजना अभ्यास से न सिर्फ मानसिक शांति मिलती है, बल्कि आप किसी भी काम पर अच्छी तरह ध्यान केंद्रित करने में सफल होते हैं।

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