कमज़ोर लोग कभी क्षमा नहीं करते, क्षमा करना या भूलना मजबूत लोगों की विशेषता है। महात्मा गांधी का यह कथन बिल्कुल सही है। हर किसी के लिए दूसरों को उनकी गलतियों के लिए माफ करना आसान नहीं होता है, मगर आप मेडिटेशन के अभ्यास से अपनी गलतियों के लिए खुद को और आपका दिल दुखाने के लिए दूसरों को आसानी से माफ कर सकते हैं। क्षमा यानी फॉरगिवनेस मेडिटेशन किस तरह से आपको माफी की कला सिखाने में मददगार है आइए, जानते हैं।
माफ करने का अर्थ क्या है?
किसी ने आपको धोखा दिया या आपका दिल दुखाया तो ज़ाहिर है कि वह पीड़ा आपके मन में हमेशा के लिए रहेगी। लेकिन उस व्यक्ति को आप यदि मन से क्षमा कर देते हैं, तो आपके अंदर का गुस्सा और दुख कम हो जाएगा, मन को शांति मिलेगी। आप बार-बार उसी चीज़ को याद नहीं करेंगे और जीवन में आगे बढ़ जाएंगे। याद रखिए, माफ करने का यह अर्थ कतई नहीं है कि आप उस व्यक्ति को बार-बार अपना दिल दुखाने की इज़ाज़त दें या उसके कृत्य को भूल जाएं। इसका अर्थ हैं कि खुद को आक्रोश और दुख की भावना से उबाकर मानसिक शांति की ओर ले जाना। यही नहीं जिस तरह आप दूसरों को उसकी गलतियों के लिए माफ करते हैं उसी तरह खुद की गलतियों के लिए भी अपने आप को माफ करना ज़रूरी है ताकि तनाव और अपराधबोध की भावना से आप दूर रह सकें।
क्या है क्षमा मेडिटेशन? (फॉरगिवनेस मेडिटेशन)
गलतियां चाहे हमारी हो या दूसरों की वह हमें गुस्सा, अफसोस, अपराधबोध जैसे नकारात्मक विचारों से भर देता है, परिणामस्वरूप मानसिक शांति भंग हो जाती है। हमारे दिमाग में बार-बार बस यही घूमता रहता है ‘उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया’ या ‘काश! मैंने ऐसा नहीं किया होता, मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई।’ ऐसी बातें सोच-सोचकर हम अतीत में ही जीते रहते हैं और वर्तमान पल का आनंद नहीं ले पाते। और यहीं मेडिटेशन यानी ध्यान की ज़रूरत पड़ती है, क्योंकि वह हमें वर्तमान पल में जीना सिखाता है।
क्षमा ध्यान के अभ्यास से हमें यह बात समझ आ जाती है कि गलतियां तो हर इंसान से होती है तो फिर उसे मन में बिठाकर रखने की बजाय भूलकर आगे बढ़ना और जीवन का आनंद लेना ज़रूरी है। यह हमें क्रोध, अपराधबोध, पछतावे की भावना से मुक्त करके वर्तमान के प्रति जागरुक करता है।
माफ करने के फायदे
जब आप नियमित रूप से क्षमा ध्यान का अभ्यास करते हैं तो आसानी से माफ करना सीख जाते हैं। माफ करने के कई फायदे आपको मिलते हैं।
- रिश्ते मधुर बनते हैं
- मानसिक शांति मिलती है
- चिंता, तनाव दूर होता है
- इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है
- हृदय स्वस्थ रहता है
- आत्मसम्मान बढ़ता है
- दयालुता बढ़ती है
कैसे करें क्षमा ध्यान?
- आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं या लेट जाएं।
- अपना ध्यान सांस लेने पर शरीर में होने वाली संवेदना पर ले जाएं और जो कुछ भी मन में विचार आ रहा है उसे आने दें और फिर बिना उसका आंकलन किए सांस लेने और छोड़ने की क्रिया पर ध्यान केंद्रित करें।
- किसी एसी चीज़ की कल्पना करें जिसके लिए आप अपना आंकलन करें। जिसकी वजह से आपको पछतावा, गुस्सा या उदासी महसूस हो। ध्यान दें कि ऐसी चीज़ को दिमाग में लाते ही आपको कैसा महसूस होता है। फिर 3 वाक्यों पर ध्यान केंद्रित करें- मैं खुद को नहीं समझने के लिए क्षमा करता हूं। मैं गलती करने के लिए खुद को माफ करता हूं। मैं खुद को और दूसरों को पीड़ा देने के लिए स्वयं को क्षमा करता हूं।
- कुछ समय के लिए सांसों पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय इन्हीं वाक्यों को दोहराएं। फिर कुछ देर बाद खुद का आंकलन किए बिना सांसों पर दोबारा फोकस करें। जब आपको लगे कि बस हो गया तो वापस सामान्य मुद्रा में लौट आएं।
- दूसरों को माफ करने के लिए आप इन वाक्यों को दोहराएं –
– मुझे नहीं समझने के लिए मैं तुम्हें माफ करता हूं।
– तुम्हारी गलतियों के लिए तुम्हें क्षमा करता हूं।
– दूसरों को पीड़ा पहुंचान के तुम्हें माफ करता हूं।
इन वाक्यों को दोहराने के बाद सांसों पर दोबारा ध्यान केंद्रित करें और पहले वाले स्थिति में लौट आएं।
माफ करने की कला सीखने के लिए अपने अंदर दयालुता की भावना लाना और क्रोध पर नियंत्रण रखना भी सीखना ज़रूरी है।
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