‘थाली’ जिसे अंग्रेज़ी में प्लेट कहते हैं, आमतौर पर हर भारतीय किचन का हिस्सा है। यह स्टील के बड़े आकार की हो सकती है या कई खानों वाली भी होती है। कई रेस्टोरेंट और फेस्टिवल्स, शादी आदि में आपने भी कई बार थाली का स्वाद चखा होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि पारंपरिक भारतीय थाली न सिर्फ स्वाद में बेमिसाल होती है, बल्कि पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है और आज के समय में जब हम सब अपनी इम्यूनिटी मज़बूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं, पारंपरिक थाली बहुत मददगार साबित हो सकती है। तो क्या है थाली का इतिहास और क्यों है यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद? आइए, जानते हैं।
थाली का इतिहास
आपने किसी होटल या शादी में गुजराती, महाराष्ट्रियन या साउथ इंडियन थाली खाई होगी जिसमें करीब 10 तरह के व्यंजन होते हैं। बड़ी सी स्टील की थाली में आमतौर पर कई छोटी-छोटी कटोरी होती है जिसमें सब्ज़ी, दाल से लेकर रायता और चटनी तक कई चीज़ें होती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि थाली में खाने की परंपरा स्टील की थाली से शुरू नहीं हुई, बल्कि प्राचीन भारत में केले या बरगद के सूखे पत्तों से बनी डिस्पोजेबल प्लेट में खाना परोसा जाता था। दक्षिण भारत में जहां केले के पत्तों का इस्तेमाल करने की परंपरा है, वहीं उत्तर भारत में पलास के पत्तों पर खाना परोसा जाता था। दक्षिण में तो केले के पत्तों पर खाने का चलन आज भी है।
संतुलित आहार
आजकल हर कोई बैलेंस डायट यानी संतुलित आहार की बात करते हैं और इसके लिए डायटिशियन से सलाह लेते हैं, जबकि हमारे पास संतुलित आहार की सदियों पुरानी परंपरा है थाली में खाने की। आमतौर पर एक थाली में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मिनरल्स और विटामिन की संतुलित मात्रा होती है। साथ ही घी, छाछ और दही के रूप में डेयरी उत्पाद भी होते हैं, जो दाल, साबूत अनाज, सब्ज़ी आदि के साथ मिलकर आपकी थाली को सूंपर्ण रूप से संतुलित बनाते हैं। ऐसी बैलेंड डाइट सेहत दुरुस्त रखने के साथ ही इम्यूनिटी को भी मज़बूत करती है।
थाली में होती है ये चीज़ें
वैसे तो राज्य के हिसाब से हर जगह की थाली के व्यंजन अलग-अलग होते हैं, लेकिन आमतौर पर थाली में निम्न चीज़ें शामिल होती हैं
- चावल, बाजरा, ज्वार, मक्का, रागी या गेहूं से बनी रोटी
- दाल या सांबर
- मौसमी सब्ज़ी (एक या अधिक)
- चटनी जो फल, सब्ज़ी, मसालों या जड़ी-बूटियों से बनी हो सकती है
- रायता, इसमें दही में कुछ सब्ज़ियां मिलाई जाती है
- अचार (आम, मूली, मिर्च, नींबू, गाजर आदि)
- पापड़
ये सारी चीज़ें थाली को बहुत स्वादिष्ट बनाती है, साथ ही इसमें आयुर्वेद के 6 रस भी आ जाते हैं, जैसे- मधुर ( मीठा), अम्ल (खट्टा), लवण (नमकीन), कटु (चरपरा), तिक्त (कड़वा, नीम जैसा) और कषाय (कसैला)।
वज़न नियंत्रित रखने में मददगार
भारतीय पारंपरिक थाली में अनाज, दाल से लेकर डेयरी उत्पाद सब कुछ एक संतुलित मात्रा में होते हैं और इसमें बहुत अधिक तली-भुनी चीज़ें नहीं होती हैं, जिससे आपके शरीर को ज़रूरत के अनुसार ही कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी मिलती है। यदि आप नियमित रूप से थाली का भोजन करें और थोड़ी कसरत करें तो वज़न नियंत्रित रहेगा। कई रिसर्च में भी भारतीय पारंपरिक थाली को वज़न नियंत्रित रखने में मददगार बताया गया है।
उम्मीद है इस लेख को पढ़ने के बाद आप अपने बच्चों को पिज़्ज़ा, बर्गर की पार्टी देने की बजाय भारतीय पारंपरिक थाली खिलाना ज़्यादा पसंद करेंगे।
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