प्राण का मतलब वह शक्ति जो हमें जिंदा रखती है, जीवन देती है। प्राण मुद्रा सबसे अधिक महत्वूर्ण है क्योंकि जैसा इसका नाम है वैसा ही इसका काम है। यह जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा करती है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर में अनेक रोगों से बचाव करने की शक्ति आती है। यह एक प्राणशक्ति का केंद्र है, जिसको करने से शरीर निरोगी रहता है।
प्राण मुद्रा क्या है?
प्राण मुद्रा में जल, पृथ्वी और अग्नि तत्व एक साथ मिलने से शरीर में रासायनिक परिवर्तन होता है जिससे व्यक्तित्व का विकास होता है। यह ऐसी मुद्रा है जिसमें प्राण यानी जीवन की ऊर्जा होती है, इसलिये इस मुद्रा को ‘जीवन मुद्रा’ भी कहते हैं। प्राण मुद्रा मूलाधार चक्र को मज़बूत करती है, जिससे कंपन और गर्मी होती है, जो शरीर को जागृत और सक्रिय करता है। यह मुद्रा व्यक्ति को हृदय और आत्मा से जोड़ती है।
प्राण मुद्रा के फायदे
- यह मुद्रा शारीरिक दुर्बलता दूर करती है
- मन को शांत करती है
- आंखों के दोषों को दूर करके ज्योति बढ़ाती है
- शारीरिक रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है
- इससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित में रहता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
- मूलाधार चक्र सक्रिय होने से व्यक्ति के अंदर के सारे डर दूर हो जाते हैं और जीवन के प्रति रवैया पॉज़िटिव हो जाता है।
- पूरे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह कर शारीरिक थकान को दूर कर प्राण उर्जा व्यक्ति को सक्रिय बनाती है।
- शरीर के सभी अंगों में ऊर्जा और धमनियों में रक्त संचार कर शरीर को रोगमुक्त करने में प्राण मुद्रा मदद करती है।
- किसी भी प्रकार का मानसिक तनाव, चिंता और नेगेटिव भावनाएं आसानी से दूर हो जाती है।
मुद्रा करने का तरीका
- आरामदायक आसन पर बैठ जाए।
- दोनों हाथों की अनामिका और सबसे छोटी अंगुली से अंगूठे से स्पर्श करें।
- बाकी अगुली को सीधा रखें
- यह मुद्रा खाली पेट करें।
- यह मुद्रा करते समय अपने सांसों पर ध्यान केंद्रित करें
- इस मुद्रा को रोज़ाना कम से कम 15 से 20 मिनट तक करें।
सावधानियां
- अगर पहली बार यह मुद्रा कर रहे हैं, तो अधिक समय न करें।
- प्राणायाम करते समय खुद को तनाव में न रखें।
- अगर सर्दी और जुकाम हैं तो इस मुद्रा को थोड़ी देर ही करें।
- रात के समय यह मुद्रा नहीं करनी चाहिए।
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