श्रद्धा से मिलेगी शांति
याद करिये, जब आप छोटे थे, तो एग्ज़ाम पास आते ही स्ट्रैस होना शुरू हो जाता था। कभी एक पेज इधर से पढ़ते, तो दूसरा पेज उस दूसरे राइटर की किताब से पढ़ने लगते थे, लेकिन एक बार एग्ज़ाम खत्म, तो सारी चिंतायें और परेशानियां दूर हो जाती थी। सोचिये, कुछ ऐसा ही बड़े होने पर होता है। कभी एक चीज़ में दिमाग लगाते है, तो अचानक कोई दूसरी बात दिमाग में घूमने लगती है। कभी ऑफिस का काम, तो कभी बच्चों को एक्टिविटी क्लास छोड़ने जाना या फिर रूटीन के सारे काम निपटाकर फौरन घर के लिए सामान खरीदने […]