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अपने खाली समय का सही इस्तेमाल करने के लिए गार्डनिंग से अच्छा ऑप्शन भला और क्या हो सकता है। इससे कई फायदे होते हैं, आपका घर सुंदर दिखता है, पर्यावरण के लिए अच्छा होता है और हरे-भरे पौधे आपकी आंखों को सुकून देते हैं। तो फिर, क्यों न इस वीकेंड से गार्डनिंग की शुरुआत की जाये। शहरों में गार्डनिंग (बागवानी) के लिए खुली जगह मिलना तो मुश्किल है, लेकिन आप अपनी खिड़की या बालकनी में गमले या कंटेनर में पौधे लगाकर शुरुआत ज़रूर कर सकते हैं। हैंगिग गार्डनिंग भी अच्छा ऑप्शन है। गार्डनिंग की शुरुआत के लिए आपको इन बातों […]
तापमान का पारा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। इसका असर न सिर्फ इंसानों, बल्कि पक्षियों पर भी होता है। हम तो फिर भी घर की चारदीवारी में पंखे और कूलर के नीचे राहत की सांस लेते हैं, लेकिन पक्षियों के लिए गर्मी का मौसम बहुत मुश्किल होता है। हर साल लू और पानी की कमी से कई पक्षियों की मौत हो जाती है। ऐसे में इंसानों की छोटी सी पहल भयंकर गर्मी में पक्षियों की जान बचा सकती है। पक्षियों के लिए पानी अपने घर के बाहर एक बर्तन में पानी रखकर आप पक्षियों को गर्मी से राहत दिला सकते […]
पर्यावरण बचाने के लिए स्वीडन की 16 साल की लड़की ग्रेटा थनबर्ग को नोबल शांति पुरस्कार 2019 के लिए नॉमिनेट किया गया है। पर्यावरण बचाने का अभियान पर्यावरण बचाने के दिशा में अपने देश में ग्रेटा ने कई अभियान चलाये और स्वीडिश संसद के बाहर प्रदर्शन भी किया। कई बार इसके लिए उन्हें स्कूल भी छोड़ना पड़ा। हर शुक्रवार को स्कूल छोड़कर #FridaysForFuture अभियान के तहत संसद के बार प्रदर्शन करने जाती थी ताकि स्वीडन की सरकार पर्यावरण में हो रहे बदलावों से बचने के लिये कुछ कदम उठाये। इन्हीं बेहतरीन कामों के चलते ग्रेटा को यूनएन क्लाइमेट टॉक्स और […]
जब भी हम आसपास हरियाली देखते है, तो न जाने क्यों दिल और दिमाग में सुकून और खुशियां छा जाती है। शायद यही वजह है कि भारत और चीन जैसे देशों ने समय रहते इस खुशहाली को पहचान लिया और अब ये दुनिया को भी हरियाली की राह पर ले जाने का काम कर रहे हैं। हरियाली को बढ़ाने की इस मुहिम के लिए अब नासा ने भी इन देशों की तारीफ़ की है। दुनिया को मिला हरियाली देखने का नया नज़रिया भारत और चीन, दोनों ही देशों को विशाल जनसंख्या वाले देश के रूप में जाना जाता है पर […]
सड़कें और इमारतें बनाने के लिए जिस तरह अंधाधुंध तरीके से पेड़ों की कटाई हो रही है, उससे शहर कंकरीट के जंगलों में बदल चुके हैं। अब तो बड़े शहरों में बमुश्किल ही हरियाली देखने को मिलती है। पेड़ों की कटाई के पीछे तर्क दिया जाता है कि विकास के लिए यह ज़रूरी है लेकिन पेड़ों को बचाते हुये विकास का काम कर रहे है, उदयपुर के वनस्पति वैज्ञानिक बद्रीलाल चौधरी। पेड़ों को किया रीलोकेट एक-दो पौधों को अपनी जगह से उखाड़कर दूसरी जगह तो शायद हर किसी ने किया होगा, मगर बद्रीलाल अब तक 10,000 हरे भरे और विशाल […]
अब आप देश के कौन से एयरपोर्ट पर सिंगल यूज़ प्लास्टिक नहीं लेकर जा सकते, पढ़िए इस अर्टिकल में-
नवी मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने कूड़े को छांटने और कंपोस्ट करने, बारिश के पानी को हार्वेस्ट करने और सोलर पावर जनरेट करने की दिशा में कई कदम बढ़ाए हैं। इसका मकसद साल 2019 में होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण सर्वे में अपनी रैंकिंग सुधारने का है। इस सर्वे में भारत के शहरों को स्वच्छता और सफाई के कई मानको पर आंका जाता है। जाने कैसी है यह पहल? नवी मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की इस स्कीम के तहत 200 सोसायटी को टार्गेट किया जा रहा है और इसकी अवधि दो साल है। इस स्कीम को दो भागों वेस्ट सेग्रीगेशन एंड कंपोसिटिंग और […]
जब भी आप किसी शादी या पार्टी में जाते हैं तो सबसे ज्यादा आपको क्या आकर्षित करता है? हो सकता है आप कहें कि वहां का खाना या साज-सजावट, लेकिन ऐसे भी लोग होते हैं जो वेन्यू के साथ-साथ खाने की प्रेज़ेंटेशन पर भी ध्यान देते हैं। आपने देखा होगा कि सलाद का एक अलग काउंटर होता है जहां फल और सब्ज़ियों को बहुत ही शानदार तरीके से सजाया जाता है। उन्हें समारोह की थीम के हिसाब से आकार दिया जाता है जैसे फूल, पत्तियां या कोई डिज़ाइन लेकिन कभी सोचा है कि फल और सब्ज़ियों को ऐसे काटने से […]
एक प्लास्टिक की थैली तैयार करने में केवल 0.14 सेकंड लगते हैं लेकिन इसे नष्ट करने में 14,000 साल लग जाते हैं। जब हम प्लास्टिक बैग को इस्तेमाल करके फेंक देते हैं, तो वह ज़मीन में दब जाती है और फिर यही थैली हज़ारों साल तक रेन वॉटर को जमीन में जाने ही नहीं देती। इस तरह ज़मीन का वह हिस्सा बंजर हो जाता है। तो सोचिए, रोज़ाना हम न जाने कितने प्लास्टिक बैग्स का इस्तेमाल करते हुए पर्यावरण और धरती को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। ‘लाइफ’ से मिल रही पर्यावरण को नई ज़िंदगी ‘लाइफ’ (लर्निंग इज फन ऐंड […]
अगर आप मन में कुछ ठान लेते हैं, तो बस जरूरत होती है आत्मविश्वास की, जो आपको अपनी मंजिल तक ले जाती है। असम के जादव मोलाई पेयांग ने आज से 37 साल पहले साल 1979 में प्रकृति के लिए कुछ करने का बीड़ा उठाया और आज उसी प्रण ने 1360 एकड़ में फैले एक ऐसे जंगल का रूप ले लिया है, जिसमें अब हज़ारों वन्यजीव रहते हैं। 16 साल की उम्र में लिया प्रण जादव मोलाई पेयांग आसाम के जोरहट ज़िला के कोकिलामुख गांव के रहने वाले हैं। साल 1979 में उनके इलाके में भयंकर बाढ़ आई थी, जिसकी […]
राह में आने वाली मुश्किलों से पार पाने का हौसला हो, तो कोई भी काम असंभव नहीं होता। कुछ ऐसा ही किया है, चंडीगढ़ पुलिस में कांस्टेबल देवेंद्र सूरा ने-
यूं तो गणेशोत्सव में सभी ने गणपति को पूरी श्रद्धा के साथ विसर्जित किया लेकिन विसर्जन के बाद कई बार मूर्तियां पानी के बहाव के कारण वापस समुद्र के किनारे आ जाती है।
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