प्यार का मतलब सिर्फ इंसानों के प्रति प्रेम प्रदर्शित करना नहीं है, बल्कि अपने आसपास के बेज़ुबानों की देखभाल और उनकी परवाह करना भी प्यार है और प्रेम की भाषा तो बेज़ुबान भी समझते हैं। तभी तो जब आप ऑफिस से थके हारे घर आते है, तो आपका पालतू आपकी ओर खामोश नज़रों से देखकर प्यार भरी एक थपकी की उम्मीद रखता है, लेकिन ऐसे बहुत से जानवर हैं जो सड़कों पर रहने को मज़बूर हैं और बीमार या घायल होने पर भी वह सड़कों पर ही पड़े रहते हैं। ऐसे ही लाचार बेज़ुबानों की मदद के लिए कई एनजीओ बने हैं, जो बेज़ुबानों को रहने की जगह और खाना देने के साथ ही उनका इलाज भी करवाते हैं।
एनिमल ऐड अनलिमिटेड
राजस्थान के उदयपुर शहर में साल 2002 में इस एनजीओ की स्थापना हुई। इस संगठन का मकसद पशुओं को बचाना है और बीमार पशुओं का इलाज, घायल की देखभाल, तत्काल सहायता वाले पशुओं को तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस संस्था ने एनिमल ऐड अनलिमिटेड, इंडिया नाम से यूट्यूब चैनल बनाया है जिसपर पशुओं को बचाने वाले कई वीडियो डाले जाते हैं और इस चैनल की बदौलत ही यह एनजीओ बहुत लोकप्रिय हो चुका है। आंकड़ों के मुताबिक, अब तक इस संस्था ने 65,000 पशुओं को बचाया है।
संजय गांधी एनिमल केयर सेंटर
आवारा पशुओं को इस सेंटर में रहने की जगह मिलती है। इसकी शुरुआत 1980 में, दिल्ली में हुई। यह भारत ही नहीं एशिया का सबसे बड़ा पशु आश्रय है और 3000 से अधिक जानवर यहां रहते हैं। इस संस्था मकसद पशुओं को बचाना, उनका इलाज और पुनर्वास के साथ ही चौबीसो घंटे एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध कराना है ताकि ज़रुरत के समय पशुओं को चिकित्सा सहायता मिल सके। आपको यदि जानवरों से प्यार है तो आप यहां से किसी जानवर को गोद ले सकते हैं या संस्था के लिए वॉलिंटियर बन सकते हैं।
स्ट्रे रिलीफ एंड एनिमल वेलफेयर
बेसहारा जानवरों की भलाई के लिए काम करने वाली यह संस्था लोगों को शिक्षित करके जानवरों का कल्याण करना चाहती है। यह सीबीएसई और राज्य के शिक्षा बोर्ड के साथ मिलकर काम कर रही है और किताबों के ज़रिए स्कूली बच्चों को भी जानवरों की देखभाल के लिए प्रेरित कर रही है। दिल्ली में स्थित यह संस्था वर्कशॉप के माध्यम से युवाओं में सभी जीवित प्राणियों के प्रति सहानुभूति और करुणा की भावना बढ़ाने का काम करती है। इस संस्था से सबक सीखकर आप भी अपने बच्चों में जानवरों के प्रति करुणा और सहानुभूति का विकास कर सकते हैं।
रेड पॉव्स रेसक्यू
आपको जानकर शायद हैरानी हो, मगर इस संस्था की शुरुआत 17 वर्षीय एक लड़की ने की। इस संस्था का मकसद बेसहारा जानवरों को समय पर इलाज प्रदान करने के साथ ही उनका पुनर्वास करना भी है। यह संस्था खासतौर पर आवारा कुत्तों को बचाने का काम करती है और फिलहाल उनके बर्थ कंट्रोल की दिशा में काम कर रही है ताकि आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाया जा सके।
देबाश्री रॉय फाउंडेशन
2009 में इस एनजीओ की शुरुआत अभिनेत्री देबाश्री ने कोलकाता में की थी और तब से यह संस्था सड़क के आवारा पशुओं की देखभाल का काम कर रही है। इसका मकसद बचाये गए जानवरों को रहने के लिए उचित जगह उपलब्ध कराने के साथ ही आवारा पशुओं का टीकाकरण कराना भी है। यह संस्था बीमार और घायल पशुओं की उचित देखभाल के साथ भी यह भी कोशिश करती है कि एडॉप्शन के ज़रिए पशुओं को अच्छा घर मिल जाए।
पशुओं के प्रति अपने प्रेम का इज़हार करने के लिए आप भी किसी एनजीओ से जुड़ सकते हैं या अपने घर के आसपास के आवारा पशुओं को भोजन उपलब्ध कराकर उनकी मदद कर सकते हैं।
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