फाइनेंस यानी पैसों से जुड़े लेन-देन के अधिकांश फैसले आज भी ज़्यादातर परिवारों में पुरुष ही करते हैं और वह अपनी महिला पार्टनर से इस मुद्दे पर चर्चा करना भी ज़रूरी नहीं समझते, जो पूरी तरह से गलत है। जैसे शादी चलाने की ज़िम्मेदारी दोनों की होती है उसी तरह फाइनेंस से जुड़े मुद्दों पर भी दोनों की राय ज़रूरी है। शादी के रिश्ते में पारदर्शिता और विश्वास बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि कपल्स पैसों से जुड़े मुद्दों पर एक-दूसरे से बात करें और सोच-समझकर ही कोई फैसला करें।
फाइनेंस के मुद्दे पर बात क्यों है ज़रूरी?
कपल्स के बीच सबसे ज़रूरी चीज़ है विश्वास जो उनके रिश्ते को मज़बूत बनाती है। इसी विश्वास को बढ़ाने के लिए उन्हें फाइनेंस से जुड़े मुद्दों पर भी आपस में बात करनी चाहिए। पार्टनर के किसी पुराने लोन के बारे में यदि आपको जानकारी न हो और वह अचानक से पता चले तो ज़ाहिर सी बात है आपका उनपर से विश्वास उठ जाएगा। इसी तरह उनकी फिज़ूलखर्च की आदत अक्सर आपके बीच झगड़े की वजह बन सकती है। इसलिए बहुत ज़रूरी है कि कपल्स एक-दूसरे से मनी मैटर्स पर खुलकर बात करें।
कैसे करें बात?
दूसरे की सुनें
बात चाहे पैसों की हो या कुछ और पार्टनर को एक-दूसरे से बात करते समय सबसे पहले तो धैर्य रखने की ज़रूरत है और सिर्फ अपनी बात ही नहीं कहनी है, बल्कि सामने वाले बात भी सुननी है और उसका नज़रिया भी समझना ज़रूरी है।
आरोप-प्रत्यारोप न लगाएं
किसी महीने खर्च बजट से बहुत अधिक हो गया है तो दोनों बैठकर इस पर चर्चा करें कि कहां फालतू खर्च हुआ है और किन खर्चों में कटौती की जा सकती है। ध्यान रहे कि इस दौरान आपको ज़्यादा खर्च के लिए एक-दूसरे पर आरोप नहीं लगाने हैं कि ‘तुम्हारी शॉपिंग की वजह से बजट हिल गया’ या ‘दोस्तों के साथ तुम्हारी पार्टी ने घर का बजट बिगाड़ दिया’।
बड़े खर्च से पहले मिलकर करें विचार
घर और गाड़ी खरीदने जैसे बड़े खर्च करने से पहले दोनों पार्टनर को बैठकर बात करनी चाहिए कि उनके पास कितना कैश है, कितने पैसे वह दूसरों से उधार लेंगे और कितना बैंक से लोन ले सकते हैं, ईएमआई भरने के लिए उन्हें किन खर्चों में कटौती करनी होगी आदि।
महीने के खर्च की योजना बनाएं
घर चलाना बहुत ज़िम्मेदारी का काम है, इसलिए तो महिलाओं को घर की फाइनेंस मिनिस्टर कहा जाता है। आज के दौर में जहां पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं, दोनों को मिलकर महीने के खर्च की प्लानिंग करनी चाहिए, बजट बनाना चाहिए और यह भी तय करना चाहिए कि किसके ज़िम्मे कौन सा खर्च रहेगा। यानी बच्चों के स्कूल की फीस, लाइट और गैस का बिल यदि पत्नी भर रही है, तो राशन का समान, ईएमआई का खर्च पति को वहन करना है। इस तरह से खर्चे का भार बांट देने से ज़िंदगी आसान हो जाती है।
निवेश की योजना भी बनाना है ज़रूरी
सिर्फ वर्तमान के खर्च को मैनेज करना ही ज़रूरी नहीं है, बल्कि भविष्य में बच्चों की शादी से लेकर पढ़ाई तक पर होने वाले बड़े खर्च के लिए आपको अभी से कुछ पैसों की बचत करनी होगी। बचत के लिए आपको किस जगह निवेश करना है, कहां से कितना रिटर्न मिलेगा आदि मुद्दों पर पार्टनर से चर्चा करें। चर्चा करने से आपको ज़्यादा विकल्प मिलते हैं और यदि कोई एक कुछ गलत निर्णय ले रहा है तो दूसरा उसे ऐसा करने से रोक सकता है। आज के महंगाई के इस दौर में फायनेंशियल प्लानिंग बहुत ज़रूरी है और सही प्लानिंग के लिए कपल्स को हमेशा एक-दूसरे से इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए।
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