चिंता या तनाव सिर्फ मानसिक तौर पर परेशान नहीं करता, बल्कि शरीर पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। खासतौर से पेट की समस्या बहुत ज़्यादा होती है। क्या आपने कभी सोचा है कि जब भी कोई किसी बात को लेकर चिंता करता है, तो उसे अक्सर पेट में गड़बड़ महसूस होने लगती है। ऐसे में यह सवाल उठता ही है कि पेट और मानसिक सेहत के बीच क्या संबंध है, जिससे पेट की परेशानी होती है?
तनाव से पेट की समस्या कैसे होती है?
जब तनाव होता है, तो तनाव हार्मोंन, कोर्टिसोल की वृद्धि को सक्रिय करता है, जिससे पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचता है। चिंता के कारण कई समस्याएं होती हैं, जो पेट में कई प्रकार की परेशानी पैदा कर सकती है।
तनाव हार्मोन के स्तर को प्रभावित करता है और हार्मोन का उपयोग पाचन के लिए किया जाता है। जब व्यक्ति तनावग्रस्त होता है, तो इससे हार्मोनल असंतुलन हो जाता है। आंतों की काम करने की गति कम हो जाती है। इस वजह से खाना ठीक तरह से पच नहीं पाता है और जिससे सूजन, आंतों में दर्द आदि समस्या होती है। इसके अलावा चिंता/तनाव के कारण पेट में एसिड ज़्यादा बनने लगती है, जिसकी वजह से पेट खराब होने जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
पेट और दिमाग के बीच संबंध
दिमाग के सेंट्रल नर्वस सिस्टम और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम के बीच माइक्रोबायोटा के ज़रिए संपर्क होता है। माइक्रोबायोटा पेट में मौजूद बैक्टीरिया और यीस्ट (किण्व) का एक समुदाय है, जबकि करोड़ों-अरबों की संख्या में पेट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया और यीस्ट को माइक्रोबायोम कहते हैं। ये पेट के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम में मौजूद केमिकल्स और हानिकारक टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं और पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाते हैं। इस प्रक्रिया से ऐसे न्यूरोट्रांसमीटर्स निकलते हैं, जो सही तरीके काम करने में दिमाग की मदद करते हैं।
क्या है चिंता /तनाव से निपटने के तरीके?
पौष्टिक खाएं
चीनी और प्रोसेस्ड फूड पदार्थ को सीमित करें। खूब पानी पिएं और फाइबर से भरपूर चीज़ें खाएं। अच्छा पोषण और समय पर भोजन करने से प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करता है, जो सभी प्रकार की बीमारियों को रोकने में मदद करता है।
ध्यान या योग करें
ध्यान और योग का अभ्यास करने से न सिर्फ मानसिक, बल्कि शारीरिक सेहत भी अच्छा होता है। चिंता और तनाव जैसे समस्याओं को दूर करने में सबसे बेहतर विकल्प है। केवल 5 से 10 मिनट खुद को देकर मानसिक शांति पाएं।
कसरत
वर्कआउट करने से एंडोर्फिन नामक फील-गुड हार्मोन रिलीज़ होता है, जो व्यक्ति को पॉज़िटिव मानसिकता के साथ तनावपूर्ण स्थितियों से निपटने में मदद करता है।
न कहें
जिस काम में मन नहीं है, उसे जबरन करके खुद को तनाव में न डालें। या जिसे काम को करने में तनाव या चिंता महसूस हो, उसे न कहने की आदत डालें। इस बात का ध्यान रखें कि आप किन गतिविधियों और ज़िम्मेदारियों को जारी रखना चाहते हैं। वरना ‘नहीं कहकर’ तनावमुक्त होकर दूसरा काम या जिम्मेदारी पूरी करे।
डॉक्टर की सलाह
चिंता या तनाव अधिक महसूस हो, तो काउंसलर या डॉक्टर की सलाह ले। जो आपको सही सलाह देकर आपके चिंता या तनाव को करने में हर संभव मदद कर सकें।
तो अब आप चिंता न करके खुद की मानसिक सेहत का ध्यान रखिए।
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