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क्या कभी सोचा है कि घर में पड़े अखबार के रद्दी से किसी की मदद की जा सकती है?अगर अब तक नहीं सोचा है तो, यह लेख ज़रूर पढ़ें –
पुणे में रहकर भी अगर आपने हरियाली और सदाबहार मौसम का लुफ्त नहीं उठाया, तो ज़रूर इस वींकेड घूमकर आएं।
भीड़भाड़ से कहीं दूर या काम से ब्रेक लेकर 2-3 दिन की छुट्टियों में मूड फ्रेश करना चाहते हैं, तो मुंबई के आसपास कई खूबसूरत जगहें है, जहां काम के तनाव से रिलैक्स हो सकते हैं –
प्लास्टिक मुक्त अभियान’ को आगे बढ़ाते हुयेऔर पर्यावरण के प्रति अपनी जागरुकता को लोगों तक पहुंचाने के लिये देश के अलग – अलग हिस्सों में कुछ कदम उठाये गये, क्या वह कदम जानिये इस लेख में –
शहरीकरण के बावजूद पर्यावरण से दोस्ती निभाई जा सकती है और पुणे की पलाश सोसायटी इसका बेहतरीन उदाहरण है। इस ईको फ्रेंडली सोसायटी के बारे में विस्तार से जानने के लिये, पढ़ें यह लेख-
शहरों को बढ़ाने के लिये लगातार हरे-भरे जंगलों को काटा जा रहा है, नतीजतन जंगल तेज़ी से सिमट रहे हैं और कंकरीट के जंगल बढ़ रहे हैं। इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। कभी बिल्डिंग तो कभी पार्किग बनाने के लिए धड़ल्ले से पेड़ काट दिये जाते हैं, लेकिन ऐसे दौर में भी कुछ लोग हैं, जो अपनी ज़रूरतों और प्रकृति में संतुलन बनाना जानते हैं। सीमेंट का इस्तेमाल न करके बल्कि सिर्फ प्राकृतिक रूप से उपलब्ध चीज़ों के इस्तेमाल से घर बनाया जा रहा है। सुनकर शायद आपको भी यकीन नहीं होगा, लेकिन पुणे को दो आर्किटेक्ट […]
यदि छोटी उम्र से ही बच्चों को खुद के साथ ही अपने आस-पड़ोस को भी साफ-सुथरा रखने की आदत सिखाई जाये, तो आगे चलकर स्वच्छ गांव और शहर का निर्माण आसान होगा। कुछ इसी तरह की सोच के साथ गोवा के स्कूलों में अब से वेस्ट मैनेजमेंट यानी कचरा प्रबंधन सिखाया जायेगा। मेघालय का मावलिननॉन्ग एक छोटा सा और बहुत ही खूबसूरत गांव है। इसे एशिया के सबसे साफ गांव का दर्जा प्राप्त है। गांव को यह दर्जा दिलाने का श्रेय किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं, बल्कि हर गांववाले को जाता है, जिन्होंने खुद ही अपने गांव को कचरा मुक्त […]
19वीं शताब्दी के वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने सबसे पहले पेड़ों में जान होने की बात साबित की थी और कहा था कि पौधों का महसूस करने का अपना एक अलग तरीका होता है। एक पत्ती तोड़ते वक्त भी हम नहीं जानते कि वे किस दर्द से गुजर रहे होंगे। जगदीश चंद्र बसु की इस बात को हम आमतौर पर भूल जाते हैं और अपने फायदे के लिये पेड़ों को नुकसान पुहंचाते है, लेकिन पुणे के माधव पाटिल इस बात को समझते हैं। इसी लिये तो वह दो साल से पेड़ों को कील की चुभन से आज़ादी दिला रहे हैं […]
क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर प्रकृति ने इंसान के अंदर संवेदना का अहसास क्यों बनाया? दरअसल, संवेदना एक ऐसा भाव है, जो हमें दूसरों के लिए जीना सिखाता है और एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है। कुछ ऐसी ही संवेदना जताई है शिक्षक ने, जिसके प्रयास से कई बच्चों को अपना भविष्य संवारने का एक बढ़िया मौका मिला है। क्या खास किया है टीचर ने? कहते है कि शिक्षा का दान सबसे बड़ा दान होता है और पुणे के शख्स दत्ता वालुंज ने भी ऐसे दो बच्चों को शिक्षा देने का फैसला किया, जब उन्हें इसकी […]
पिछली आधी सदी से प्लास्टिक हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। फर्नीचर से लेकर किराने की थैलियों तक, वाहन के पार्ट्स से लेकर खिलौनों तक, प्लास्टिक हमारे जीवन का एक ज़रूरी हिस्सा बन गया है। हालांकि हमारी ज़िंदगी में महत्वपूर्ण होने के बावजूद इसे बड़े विनाश और नुकसान के रूप में देखा जाने लगा है। क्या कहती है स्टडी ? अध्ययनों से पता चलता है कि हर साल लगभग 127 लाख टन प्लास्टिक कचरा समुद्र में जाता है। संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम का अनुमान है कि महासागरों में पहले से ही करीब 51 लाख करोड़ […]
भारत सरकार एक बेहतरीन प्रॉजेक्ट ‘डिजी यात्रा’ की शुरुआत करने जा रही है, जिसकी वजह से अंतरराज्यीय हवाई सफर अब और भी आसान हो जायेगा। इस प्रॉजेक्ट के लागू होने से यात्री पेपरलेस टैवल कर सकेंगे और यात्रियों कि सहूलियत के साथ-साथ इसका असर सीधे तौर पर न सही, लेकिन वातावरण पर भी पड़ेगा। क्या है डिजी यात्रा? इस प्रॉजेक्ट के अंतर्गत यात्रियों के एक यूनिक डिजी यात्रा (डीवाय) आईडी नंबर एविएशन मिनिस्ट्री के पोर्टल से जनरेट करवाना होगा। पहली बार यात्री को एयरपोर्ट पर फिज़िकल वेरीफिकेशन करवाना होगा, इसके बाद अगली बार से टिकट बुक करवाते समय उसे बस […]
शौच के लिए घर से बाहर निकलना महिलाओं के लिए आसान नहीं होता। बाहरी माहौल में खुद को सेफ रखना भी बड़ी चुनौती होती है। यह परेशानी तब और बढ़ जाती है, जब महिलाएं पीरियड्स के दौर से गुजर रही हो, क्योंकि गंदी जगह पर टॉयलेट जाने से इंफेक्शन का डर होता है। महिलाओं की इसी समस्या को समझकर पुणे की एंटरप्रिन्योर उल्का सदलकर आगे आईं और राजीव खेर के साथ मिलकर महिलाओं को मोबाइल टॉयलेट मुहैया कराने का अनूठा आइडिया ढूंढ निकाला। कबाड़ बसों का किया इस्तेमाल पुरानी बसों को जहां बेकार समझकर कबाड़ में फेंक दिया जाता है, […]
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