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अगर आप चाहते है कि आपका बच्चा अपनी व्यक्तिगत पहचान के प्रति आश्वस्त रहे। तो आइए जानते एक पैरंट्स के तौर पर बच्चे के लिए क्या करना चाहिए-
हाउसवाइफ की बिना घर चलना बहुत मुश्किल है। इसलिये उनकी सेहत के साथ इमोशन्स का ध्यान रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इस लेख में उनके स्ट्रैस और उससे निपटने के उपाय बताये गये हैं।
मूक-बधिर लोगों को समान अधिकार दिलाने के लिये अकेले पूरे देश का चक्कर लगाने वाले व्यक्ति के बारे में पढ़िये, इस लेख में –
लोग क्या कहेंगे, कल क्या होगा जैसी बातें सोचकर हम परेशान रहते हैं और अपने मन की नहीं सुनते। अंतरात्मा की आवाज़ कहती है कि खुश रहने के लिये खुद से प्यार करना बहुत ज़रूरी है। तो, आप भी यदि सचमुच खुश रहना और दूसरों से प्यार पाना चाहते हैं, तो पहले खुद से प्यार करना सीखिये। दूसरों से तुलना न करें आज के कॉम्पिटिशन में अपने दोस्तों व कलीग से तुलना करना बहुत आम है, लेकिन याद रखिये कि यह तुलना आपको परेशान और स्ट्रैस में लाएगी। इसलिये बेहतर होगा कि अपने दिमाग को इस दिशा से मोड़कर सिर्फ […]
जीवन तो सब जीते हैं, लेकिन बिना किसी लक्ष्य और पॉज़िटिव सोच के जीने में कोई मज़ा नहीं है। ज़िंदगी में आगे बढ़ने और अपने लक्ष्य को पाने के लिए ज़िंदगी में कुछ नियमों का पालन करना ज़रूरी है। ये नियम न सिर्फ आपको लक्ष्य पाने में मदद करेंगे, बल्कि खुशहाल और पॉज़िटिव भी बनायेंगे। – दुनिया में हर महान काम के साथ रिस्क जुड़ा होता है क्योंकि यदि ऐसा नहीं होता और हर काम आसान होता, तो हर इंसान महान बन जाता। – हार जाने पर भी सबक सीखना ज़रूरी है। हार-जीत तो ज़िंदगी का हिस्सा है, लेकिन सबसे […]
अनुष्का भले ही पांच साल की है, लेकिन खाने के लिये अपनी मम्मी को रोज़ाना परेशान करती है। उसकी एक ही ज़िद्द होती है, पहले मोबाइल दो फिर खाना खाऊंगी। हारकर उसकी मम्मी को मोबाइल देना ही पड़ता है, लेकिन जब उसकी दादी उसे प्यार से समझाती है कि बेटा मोबाइल देखने से आंखें खराब हो जाती है, चलो मैं आपको विंडो पर बिठाकर खिलाती हूं, तो नन्हीं अनुष्का झट से दादी की बात मान लेती है। अनुष्का की तरह ज़्यादातर बच्चे भले ही अपने मम्मी-पापा का कहा न मानें, लेकिन दादा-दादी या नाना- नानी की बात ज़रूर मानते हैं। […]
किसी ज़रूरतमंद की मदद ही सबसे बड़ी सेवा है, इसलिए तो बेंगलुरु के सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले 40 छात्रों ने दो साल तक लोगों की सेवा करने की शपथ ली है। डिग्री हासिल करने वाले ये छात्र दो साल तक देश के पिछड़े और गरीब इलाकों में जाकर लोगों का इलाज करेंगे। डॉक्टरों की ये पहल वाकई सराहनीय हैं और आप भी कई तरीकों से गरीब और ज़ररूतमंद लोगों की मदद कर सकते हैं। कैसे करें मदद? सम्मान दें आमतौर पर गरीबों को देखकर लोग उन्हें हीन भावना से देखते है, जिससे वह […]
ये तो हर कोई चाहता है कि उसका जीवन सबसे बेहतर हो, लेकिन अच्छा जीवन बिताने के लिये आपको दूसरों के प्यार और सम्मान की ज़रूरत होती है और दूसरों का प्यार तभी नसीब हो सकता है, जब आपको खुद से प्यार हो। खुद से प्यार करने की इस अनूठी कला को ही आजकल सेल्फ लव कहा जाता है। क्यों जरूरी है? आजकल लोगों का कॉमन क्वेश्चन होता है कि सेल्फ लव क्यों ज़रूरी है? और अगर आप खुद से प्यार करते हैं, तो क्या आप स्वार्थी नहीं हैं? लेकिन इस पर मनोवैज्ञानिकों की अलग ही राय है। उनका कहना […]
अविका सिर्फ 5 साल की है, लेकिन जब भी कोई उसके घर आता, तो वह बहुत प्यार और सम्मान के साथ उनसे बात करती। वहीं 5 साल का आरव हमेशा मुंह बनाये रहता, कुछ पूछने पर भी गुस्से में ही जवाब देता, न तो वह अविका की तरह बड़ों से मिलने पर उन्हें नमस्ते बोलता है और न ही कुछ पूछने पर सही तरह से जवाब देता है। दोनों बच्चों में यह अंतर किसी और चीज़ का नहीं बस परवरिश का है। बच्चे वैसा ही बर्ताव करते हैं जैसा वह अपने माता-पिता को करता देखते हैं। चूंकि अविका ने हमेशा […]
जेफ बेजोस और उनकी पत्नी का तलाक के बाद भी दोस्त बने रहने का नज़रिया लोगों को सीख देता है कि अगर रिश्ता टूट भी जाए, तो भी रिश्ते की डोर में कड़वाहट नहीं लानी चाहिए।
बच्चों का ज़िद्दी होना कोई अनोखी बात नहीं है। यह एक सामान्य इंसानी बर्ताव है। आमतौर पर जब बच्चे अपनी मनमर्जी नहीं कर पाते या उन्हें अपनी मनचाही चीज नहीं मिलती है, तो वे मचलने लगते हैं और उनकी यह आदत धीरे-धीरे ज़िद का रूप ले लेती है, जिसमें वे अपने इमोशन्स रोकर, चीख-चिल्लाकर या नाराज़ होकर ज़ाहिर करते हैं। ऐसे बच्चों को थोड़ी सी मेहनत करके ही पटरी पर लाया जा सकता है। ढ़ेर सारे विकल्प दें जब आप बच्चों पर अपनी बात थोपते है, तो वे स्वभाव से विद्रोही होते चले जाते हैं और फिर जिस काम को […]
कहते है बच्चें गीली मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जिस रूप में ढ़ालें, वो उसी रूप ढ़ल जाते हैं। ऐसे में माता पिता को चाहिए कि बचपन से ही उनमें कैसे आत्मविश्वास बढ़े? एक अभिभावक के रूप में उनके लिए ऐसे माहौल तैयार करें, जिससे वो प्रोत्साहित हो सके। उन्हें यकीन दिलाएं कि कैसे आत्मविश्वास से किसी भी तरह की जंग जीती जा सकती है। समय के साथ बनाए रखे धैर्य कुछ बच्चे बहुत जल्द ही हार मान लेते हैं और वो कुछ नया करने से भी घबराते हैं। ऐसे में अभिभावक के तौर पर बच्चों को वैसे लोगों […]
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