जैसे पांच अंगुलियां एक समान नहीं होती, वैसे ही हर व्यक्ति की सोच और नज़रिया भी अलग है। दुनिया के बारे में सभी का अपना अलग दृष्टिकोण होता है, उनकी अपनी विचारधाराएं है, इसलिए आपसे विपरीत सोच होना कोई बुरी बात नहीं है। किसी भी बात पर मतभेद तभी होता है, जब दो व्यक्तियों की सोच अलग होती है। भले ही दोनों अपनी जगह सही हों, लेकिन सोच अलग होने से दोनों अपने आप को ही सही साबित करने में लगे रहते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि राय मतभेद का रुप ले लेता है। ऐसे में अपने विचारों को ऐसे अवसर में बदलिए, ताकि आपसी मतभेद ही दूर हो जाए।
समझने की कोशिश करें
लोग अक्सर तब असहमत होते हैं जब वे दूसरे व्यक्ति की बात को समझने की कोशिश नहीं करते। सिर्फ अपनी बात को पकड़कर बैठे रहते हैं और दूसरा पक्ष क्या बताना चाहता है उस पर ध्यान नहीं देते। जब एक पक्ष अपने अहंकार को छोड़कर दूसरे पक्ष की बात को समझने की कोशिश करता है, तो यह एहसास होता है कि दूसरे हमसे अलग नहीं हैं। केवल स्थिति या परिस्थिति के बारे में दोनों पक्ष का नज़रिया अलग है। इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों पक्ष सहमत है, बस आपसी मत को खुले विचारों से समझने की कोशिश करें, तो कोई नतीजा ज़रूर निकलेगा।
अपने व्यक्तिगत ट्रिगर से बाहर निकलें
कई बार यह मतभेद पुराने जख्मों और अतीत में हुए दर्दनाक अनुभवों की यादों को ट्रिगर करता है। जिससे व्यक्ति खुद को छोटा और कमजोर महसूस करने लगता है। ऐसे समय में शांत हो जाए या अपने नज़रिये को बताने की कोशिश करें। अगर आपकी बात का कोई असर नहीं हो रहा है, तो उस विषय पर दोबारा बात न करें। जिसे जो सही लगता है, उसे करने देना चाहिए। जो आपको सही लगे, आप वो करिए। इससे मतभेद को बढ़ने से रोका जा सकता है। बाद में ठंडे दिमाग से सोचने पर किसी को भी बात सही लगती है तो काम भी बन जाता है।
एक आधार ढ़ूंढें
आप यह सोच सकते हैं कि आप दूसरों से अलग है, लेकिन हमेशा कुछ समानताएं होती हैं जो व्यक्ति को एक-दूसरे से जोड़े रखती हैं। सभी को खुशी, अच्छा स्वास्थ्य, प्यार और स्वीकृति चाहिए। अगर सभी के विचारों को सम्मान करें और दृष्टिकोण को सामान्य आधार से देखें, तो मतभेदों को अच्छे से समझने और दूर करने रास्ता नज़र आ सकता है।
अच्छा श्रोता बनें
किसी भी विवाद में दोनों पक्ष एक दूसरे का सुनना थोड़ा मुश्किल लगता है न? लेकिन इसका मतलब यह है कि जैसा कि आप उम्मीद करते हैं कि दूसरे व्यक्ति आपकी बात सुनेंगे, तो उससे पहले आपको उन्हें एक अच्छा श्रोता होकर दिखाने की ज़रूरत है। एक अच्छा श्रोता वह होता है जो जिज्ञासु, खुले विचारों वाला और किसी भी निर्णय से मुक्त होता है। एक अच्छा श्रोता पूरे ध्यान से सुनता है, सवाल पूछता है और जब किसी राय से वह सहमत नहीं होता है, तो वह बहस नहीं करता है, बल्कि वह चुप रहकर सभी बारीकियों को ध्यान से सुनता है और समझता है क्योंकि तभी वह सबसे अच्छा सीखता है।
विवादों को रोकने की ज़िम्मेदारी लें
कई बार विचारों के मतभेद के चलते छोटे-मोटे झगड़े हो जाते हैं, लेकिन दिक्कत तब आती है मतभेद की असली वजह को छोड़कर व्यक्तिगत रूप में लेने लगते हैं। इससे बेहतर तो यह कि व्यक्ति विचारों के तह तक जाने की ज़िम्मेदारी लें। यह समझने की कोशिश करें कि अपने विचार को दूसरों पर न थोपे। अपने विचारों की स्वतंत्रता हर इंसान को होनी चाहिए ताकि जबरदस्ती कोई किसी की बात मानने पर मज़बूर न हो।
जैसे एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी प्रकार हमारे जीवन में भी हर एक चीज को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। कभी हमारे बीच विचारों को लेकर मतभेद हो, तो ये न सोचें कि सामने वाला बिल्कुल गलत है, बल्कि चीज़ों को सामने वाले के नज़रिए से देखने और उसे अपना नज़रिया समझाने की कोशिश करें। तभी आप एक अर्थपूर्ण संवाद कर सकते हैं।
और भी पढ़िये : मानसून में सेहतमंद रहने के लिए करें योग का अभ्यास
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर भी जुड़िये।